अठारह महापुराणों में शिवमहापुराण का विशेष गौरव है। इस पुराण के श्रवण एवं पारायण की सुदीर्घ परंपरा चली आ रही है। इसमे मुख्य रूप से भगवान सदाशिव एवं जगज्जननी माता पार्वती की लीला-कथाओं का विस्तार से प्रतिपादन हुआ है। भक्ति, ज्ञान, सदाचार, शौचाचार, उपासना तथा मानव-जीवन के कल्याण की अनेक उपयोगी बातें इसमें निरूपित है। कथाओं का तो यह आकर ग्रंथ है। शिवज्ञान, शैवदीक्षा तथा शैवागम की अत्यंत प्रौढ़ सामग्री इसमें विद्यमान है।
इसके पढ़ने से सम्पूर्ण शिवमहापुराण के अध्ययन के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न हो सकेगी तथा यह संक्षिप्त ग्रंथ छात्राओं को इस ओर प्रेरणा प्रदान करने में सहायक हो सकेगा।
साभार: गीता प्रेस गोरखपुर