इस अध्याय में हनुमानजी की सुंदर लीलाओं के साथ ही राजनीति, ज्ञान, कर्म और भक्ति के भी सुंदर दर्शन होते हैं। तुलसीदास 'सुन्दरकाण्ड' के द्वारा संदेश देते हैं कि भक्त को सदैव ज्ञान, भक्ति और कर्म से युक्त होना चाहिए। जीवन में ज्ञान, भक्ति और कर्म का समन्वय निश्चित सफलता की ओर अग्रसर करता है।
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