जहां एक ओर पश्चिम (West) देशों की नकल करके हमने अपने घरों से प्राणदात्री संस्कार खो दिए है वहीं दूसरी ओर विकसित होने की लालसा में हम ऑक्सीजन देने वाले पेड़ भी धड़ल्ले से उड़ा रहे है। हमारे पूर्वजों ने अपनों को खोकर उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए जो वृक्ष लगाए थे, हम उन्हें बेझिझक काट रहे है। और यदि ये सिलसिला अभी भी नहीं रोका गया तो हमारी जलवायु भी पश्चिम देशों की तरह हो जाएगी।
उक्त विचार विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. अनुपमा छाजेड़ ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि, पहले सड़क कम और पेड़ ज्यादा दिखते थे और अब स्थिति यह है कि सड़क तो चमकदार और चकाचक हो गई पर पूरे पेड़ गायब हो गए। पहले भीषण गर्मी में लोग पेड़ के नीचे खड़े होते थे और आज शहर की स्थिति यह है कि भीषण गर्मी में ट्रेफिक सिग्नलों पर ग्रीन नेट लगाकर छाया करनी पड़ रही है।
श्री उमिया कन्या महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के बैनर तले विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित वृक्षारोपण कार्यक्रम में रासेयो स्वयंसेवकों एवं महाविद्यालय प्राध्यापकों ने भाग लिया। इस अवसर पर आम, जाम, नीम, महुआ जैसे छायादार वृक्ष के पौधों का रोपण किया गया।
उक्त आयोजन महाविद्यालय की रासेयो कार्यक्रम अधिकारी सहा.प्रा. सुनीता पांचाल के निर्देशन में सम्पन्न हुआ।
वृक्षारोपण की कुछ तस्वीरे...