हिन्दी का भविष्य खतरे में नहीं क्योंकि विश्व की सात हजार से अधिक भाषाओं में हिन्दी का स्थान है तीसरा - डॉ. वंदना बारमेचा

0

 बहुत दु:ख होता है जब हमारे विद्यार्थी हिन्दी में आवेदन तक शुद्धता से नहीं लिख पाते। यह हमारे देश की विडंबना है कि मातृभाषा हिन्दी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त होने तथा अच्छी और मीठी भाषा होने के बाद भी आज की युवा पीढ़ी के मन-मस्तिष्क में जगह नहीं बना पा रही है। हमारा युवा हिन्दी और अंग्रेजी के बीच झूल रहा है और परिणामस्वरूप वह ना घर का रहा ना घाट का। 

उक्त विचार हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में श्री उमिया कन्या महाविद्यालय द्वारा आयोजित व्याख्यान में शासकीय महाविद्यालय, फागी, जयपुर (राजस्थान) की प्राध्यापक डॉ. वंदना बारमेचा ने वक्ता के रूप में व्यक्त किए। 

डॉ. बारमेचा ने हिन्दी के इतिहास से लेकर वर्तमान पर विस्तृत चर्चा की। हिन्दी भाषा और विकास विषय पर आयोजित व्याख्यान में उन्होंने बहुत ही सरल शब्दों में छात्राओं और उपस्थित प्राध्यापकों से चर्चा की। 

गूगल मीट के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम का संचालन वाणिज्य संकाय प्रमुख डॉ. अस्मिता जैन ने किया। अतिथि स्वागत व आभार प्रदर्शन महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. अनुपमा छाजेड़ ने किया। 

कार्यक्रम की झलकियां 













Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Post a Comment (0)
To Top