डायबिटीज़ एक जीवनभर की बीमारी है, जो शरीर के ब्लड शुगर (ग्लूकोज) के स्तर को नियंत्रित नहीं कर पाती। इस बीमारी का समय पर निदान और सही उपचार न मिलने पर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे हृदय रोग, किडनी फेल्योर, आंखों की समस्याएं, और तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव।
उक्त विचार 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज़ डे के अवसर पर श्री उमिया कन्या महाविद्यालय द्वारा गूगल मीट प्लेटफॉर्म पर आयोजित सेमीनार में नैरोबी, केन्या के कन्सल्टेंट फिजीशियन व डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. संदीप शर्मा ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि डायबिटीज़ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है: टाइप 1 और टाइप 2। टाइप 1 डायबिटीज़ एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज़ अधिकतर जीवनशैली से संबंधित होती है, जैसे अस्वस्थ आहार, निष्क्रिय जीवनशैली, और मोटापा। आजकल, टाइप 2 डायबिटीज़ के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, खासकर बच्चों और युवा वर्ग में।
डॉ. शर्मा ने डायबिटीज़, इसके कारण, उपचार और बचाव के उपायों पर प्रकाश डाला। सेमीनार में छात्राएं, पालकगण और प्राध्यापकगण ने भागीदारी की। आपने अपने व्याख्यान में डायबिटीज़ के बढ़ते मामलों और इससे होने वाली गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में विस्तार से बताया।
आखिर में, डॉ. संदीप शर्मा ने वर्ल्ड डायबिटीज़ डे के महत्व को रेखांकित करते हुए यह संदेश दिया कि इस दिन का उद्देश्य सिर्फ डायबिटीज़ के बारे में जागरूकता फैलाना नहीं है, बल्कि लोगों को सही जीवनशैली अपनाने और इस बीमारी से बचने के उपायों के बारे में जागरूक करना है। उन्होंने कहा, "अगर हम समय रहते सही कदम उठाएं, तो डायबिटीज़ को नियंत्रित किया जा सकता है और इसके गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।"विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर श्री उमिया कन्या महाविद्यालय द्वारा छात्राओं एवं पालकगण को मधुमेह के प्रति जागरूक करने के प्रयास की सराहना की तथा कहा कि इस उम्र में यदि विद्यार्थी ने मधुमेह को जान लिया तो वे निश्चित ही इसकी चपेट में आने से बच सकते है।
सेमीनार का संचालन एनसीसी अधिकारी कैप्टन नम्रता सावंत ने किया। अतिथि परिचय वाणिज्य विभाग प्रमुख डॉ. अस्मिता जैन ने दिया।