छात्राओं में आध्यात्मिक संवेदनशीलता, मानसिक संतुलन और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने के उद्देश्य से श्री उमिया कन्या महाविद्यालय में भगवद्गीता जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित प्रेरक कार्यक्रम आज सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य गीता के जीवन-मूल्यों को छात्राओं तक पहुँचाकर उनमें आत्मविश्वास, एकाग्रता और जीवन-दृष्टि को सुदृढ़ करना था।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 8:30 बजे सामूहिक गीता पाठ से हुआ। इसके बाद “छात्र जीवन में भगवद्गीता की भूमिका” विषय पर मुख्य वक्ता डॉ. निशा जोशी, योग एवं जीवन-प्रबंधन विशेषज्ञ, ने छात्राओं को गीता के व्यावहारिक और प्रेरणादायी उपदेश सरल भाषा में समझाए।
डॉ. निशा जोशी ने कार्यक्रम के दौरान गीता के कई महत्वपूर्ण श्लोकों का सामूहिक उच्चारण करवाया और उनके अर्थ समझाए। उच्चारित प्रमुख श्लोक इस प्रकार रहे—
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अध्याय 1, श्लोक 1 — धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे…
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अध्याय 2, श्लोक 7 — कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः…
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अध्याय 2, श्लोक 47 — कर्मण्येवाधिकारस्ते…
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अध्याय 2, श्लोक 48 — योगस्थः कुरु कर्माणि…
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अध्याय 4, श्लोक 7 — यदा यदा हि धर्मस्य…
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अध्याय 4, श्लोक 8 — परित्राणाय साधूनाम्…
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अध्याय 18, श्लोक 66 — सर्वधर्मान् परित्यज्य…
इन श्लोकों के माध्यम से छात्राओं को कर्तव्य, समत्व, आत्मबल, कठिन परिस्थितियों में धैर्य और जीवन के उद्देश्यों की स्पष्टता जैसे मूल भावों से परिचित कराया गया।
महाविद्यालय संचालन समिति सचिव श्रीमती इंदिरा पाटीदार ने बताया कि आज की प्रतिस्पर्धी परिस्थितियों में गीता के संदेश छात्राओं को संतुलित निर्णय क्षमता, धैर्य और सकारात्मक कार्य-दृष्टि प्रदान करते हैं। उन्होंने इस आयोजन को विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास के लिए अत्यंत उपयोगी बताया।
कार्यक्रम का सफल संचालन वाणिज्य संकाय प्रमुख डॉ. अस्मिता जैन एवं प्रबंध संकाय की दीक्षा पटेल ने किया।
महाविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी छात्राओं के उत्साह की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन आत्मनियंत्रण, समय प्रबंधन और मानसिक सुदृढ़ता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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