इस पर छात्र का कलर फाेटाे भी छपेगा। आधार नंबर भी रहेगा। इतना ही नहीं इस पर सिक्योरिटी काेड भी हाेगा। 1964 में शुरू हुई यूनिवर्सिटी के 58 साल के इतिहास में पहली बार मार्कशीट में ये बदलाव हाेने जा रहे हैं। इस प्राेजेक्ट पर काम करने के लिए छह सदस्यीय कमेटी बनाई है। 1 जनवरी 2023 से यह मार्कशीट दिए जाने की तैयारी है।
काेड स्कैन करने से देश-विदेश में कहीं भी मार्कशीट सत्यापित हाे जाएगी
- मार्कशीट पर बार काेड रहेगा। इस सिक्योरिटी फीचर्स के हाेने से काेई भी फर्जी मार्कशीट नहीं बना सकेगा। काेड स्कैन करने से देश-विदेश में कहीं भी मार्कशीट सत्यापित हाे जाएगी।
- डिजाइन ऐसा हाेगा कि काेई भी उसकी फाेटाेकॉपी करवाएगा ताे वह धुंधली आएगी। इससे गड़बड़ी रुकेगी।
- मार्कशीट पर यूनिवर्सिटी का लोगो रहेगा।
कीमत बढ़ेगी : पहले 7 से 8 रुपए खर्च आता था, अब 25 रुपए
अभी यूनिवर्सिटी काे 7 से 8 रुपए का खर्च प्रति मार्कशीट पड़ता है। नई मार्कशीट की लागत 25 रुपए रहेगी। अभी लेमिनेशन के ही 50 रुपए लग जाते हैं। सील लगाने के लिए कर्मचारी नहीं रखना हाेंगे। मार्कशीट पर डिजिटल हस्ताक्षर हाेंगे।नई पॉलिसी के पहले वर्ष के छात्राें काे मिलना मुश्किल, 2023 तक संभव
नई मार्कशीट की टेंडर प्रक्रिया से पहले यूनिवर्सिटी कार्यपरिषद में लाएगी। वहां मंजूरी मिलने के बाद ही इसके टेंडर होंगे। अभी सारी प्रक्रिया में कम से कम छह माह का वक्त लगेगा। उसके बाद यूनिवर्सिटी दाे माह का अतिरिक्त समय मानकर चल रही है। ऐसे में जनवरी 2023 से ही नई मार्कशीट मिलने की उम्मीद है।इसी कागज पर, इसी पैटर्न से सर्टिफिकेट, और डिप्लाेमा भी तैयार किए जाएंगे
नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत छात्राें काे एक साल में पढ़ाई छाेड़ने पर मिलने वाले सर्टिफिकेट व दाे साल में मिलने वाले डिप्लाेमा भी इसी कागज पर, इसी पैटर्न से तैयार हाेंगे। साथ ही तीन साल में मिलने वाली डिग्री और चार साल में मिलने वाली रिसर्च या ऑनर्स डिग्री भी इसी कागज की हाेगी।(स्त्रोत: bhaskar.com)