पहले मनुष्य सौ साल तक जीता था, पर आज सिर्फ तीस से पैतीस साल की उम्र में बी.पी. व शुगर से संबन्धित बीमारियों से घिर जाता है। चालीस साल के बाद हार्ट अटैक और जब तक पचास वर्ष का हो जाता है, वह जीने से डरता है क्योकि उर्वरक व कीट नाशक मानव जाति के लिए हानिकारक होते जा रहे है। फसलों के द्वारा इन्हे सोंख लिया जाता है। बारिश के साथ धाराओं मे विसर्जित हो जाता है। हमारा भोजन दूषित होता जा रहा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो मानव जीवन तीस साल से ज्यादा का नहीं रह पाएगा।
उक्त विचार जैविक खेती के प्रथम पुरुष श्री जितेंद्र पाटीदार ने श्री उमिया कन्या महाविद्यालय मे आज दिनांक 10 मई को जैविक खेती : एक विवेचनात्मक अध्ययन विषय पर आयोजित सेमिनार मे मुख्य वक्ता के रूप मे व्यक्त किए।
श्री पाटीदार ने छात्राओं को जैविक खेती के महत्व एवं फ्यूचर मे जैविक उत्पाद की मांग के बारे मे बताया। छात्राओ से चर्चा करते हुए श्री पाटीदार ने कहा कि बिना रसायन का उपयोग किए किस तरह से फसल के लिए हानिकारक कीटों को दूर एवं मित्र कीटों को बढ़ावा दिया जा सकता है। फसल चक्र को अपनाकर मिट्टी की उर्वरता को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है।
उन्होने कहा कि अच्छी फसल उत्पादन के लिए मिट्टी के pH एवं उसमे पोषक तत्वो की उपस्थिती को कैसे मेंटेन करना चाहिए। जैविक खेती के साथ शुरू की गई अपनी यात्रा से छात्राओ को परिचित कराया।
ज्ञात हो कि महाविद्यालय मे इस वर्ष नई शिक्षा नीति के अंतर्गत प्रथम वर्ष मे अध्ययनरत कई छात्राओं ने Organic Farming विषय को वोकेशनल विषय के रूप मे लिया है। यह सेमीनार इन छात्राओं को ओर्गेनिक फ़ार्मिंग विषय की गंभीरता से रूबरू कराने मे सफल सहायक हुआ है।
प्राचार्या डॉ. अनुपमा छाजेड़ ने शाल-श्रीफल भेंट कर श्री जितेंद्र पाटीदार जी का स्वागत किया। IQAC कोर्डिनेटर श्रीमती सरिता शर्मा के निर्देशन मे सेमीनार की रूपरेखा छात्राओं के समक्ष प्रस्तुत की गई। सेमीनार का संचालन बायो-साइंस विभाग के सहायक प्राध्यापक लविना उमाले ने किया। आभार बायो-साइंस विभाग की डॉ. साक्षी यादव ने माना।