मध्यप्रदेश भारत का पहला राज्य है जहां नवीन शिक्षा नीति लागू की गई। हम सब यहाँ शिक्षा के मंदिर मे अपनी सेवाएँ देने आते है। देवी-देवताओं के मंदिर मे भक्ति व शक्ति का पर्व चलता है पर माँ सरस्वती के इस पुनीत स्थान में शिक्षा का रोपण किया जाता है। आपके महाविद्यालय मे अधिकतर ग्रामीण छात्राएँ आती है। कक्षा मे पढ़ने वाले ज्यादा होते है और पढ़ाने वाला एक होता है। वह कितना समर्पित है, यह अत्यंत आवश्यक है।
उक्त विचार पर्यावरण संरक्षण अनुसंधान एवं विकास केंद्र (Centre for Environment Protection Research & Development) तथा श्री उमिया कन्या महाविद्यालय के मध्य हुए एमओयू के अंतर्गत 20 अगस्त को आयोजित फेकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम मे CEPRD सचिव एवं वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ. रमेश मंगल ने व्यक्त किए।
डॉ. मंगल ने प्रोग्राम मे उपस्थित फेकल्टीद्वय को संबोधित करते हुए कहा कि पढ़ने वाले तो पढ़ने आते है, परंतु पढ़ाने वाला कितना समर्पित है यह मायने रखता है। एक अच्छा शिक्षक मन से पढ़ाता है। आप अपने पढ़ाने की तकनीक ऐसी बनाए की छात्राएँ आपकी कक्षा में रुचि से बैठे। अब पढ़ाने वाले को बहुआयामी अध्ययन करना होगा।
अपनी बात को पर्यावरण विषय से जोड़ते हुए डॉ. मंगल ने कहा कि आज के समय मे संरक्षण अतिआवश्यक है। हमे प्रकृति प्रदत्त उपहारो को सँजो कर रखना होगा। छात्राओं को पर्यावरण का महत्व नवीन तकनीकों से समझाये ताकि हर छात्रा प्रकृतिक संसाधनो की संरक्षक बन जाये।
FDP हेतु CEPRD की ओर से आए शिक्षाविद
महाविद्यालय एवं CEPRD के एमओयू के अंतर्गत आयोजित FDP में CEPRD सचिव डॉ. रमेश मंगल के अलावा शैक्षणिक संयोजक डॉ. संगीता भारूका, डॉ. राजेश वर्मा एवं डॉ. दिलीप गर्ग उपस्थित थे।
प्रोग्राम मे उपस्थित CEPRD शैक्षणिक संयोजक डॉ. संगीता भारूका ने प्राध्यापको को संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी ने पर्यावरण के संरक्षण के बजाय उसका चीर हरण कर दिया है। हमें संरक्षण हेतु दृढ़ संकल्प लेना होगा। जब हम संकल्पित होंगे तभी तो विद्यार्थियों को पर्यावरण के संरक्षण का संकल्प दिलवा सकेंगे। पर्यावरण के संरक्षण के लिए सभी को छोटे छोटे प्रयास करने चाहिए। कम से वर्ष में तीन पौधे अवश्य लागाये तथा अपने विद्यार्थियों को भी इस हेतु प्रेरित करें व जब तक उसका ध्यान रखना आवश्यक हो ध्यान रखे।
विद्यार्थी घर जाकर भी आपकी बताए बातें करे, तो आपका पढ़ाना सार्थक - डॉ. वर्मा
प्रोग्राम मे उपस्थित CEPRD के डॉ. राजेश वर्मा ने उपस्थित फेकल्टी सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि सबसे पहले स्वयं को प्लास्टिक मुक्त करें तथा अपने बच्चो को भी प्लास्टिक के उत्पादों का उपयोग ना करने हेतु प्रेरित करें। अपने अन्तर्मन को यह बार-बार याद दिलाना होगा कि पर्यावरण संरक्षण का कार्य स्वयं से ही शुरू होता है। महाविद्यालय के प्रति प्रत्येक शिक्षक का दायित्व है कि बच्चो को वह शिक्षा देना जिसके लिए हम यहा आते है। बच्चा घर जाकर भी आपसे ग्रहण की गई शिक्षा की बाते करें तो आपका आना सार्थक हो गया।
महाविद्यालय मे पौधारोपण एवं पौधा-वितरण के साथ दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
उपस्थित CEPRD सदस्यों ने महाविद्यालय परिसर मे जाम के पौधो का रोपण किया तथा FDP मे भाग लेने वाले सभी सदस्यो को CEPRD की ओर से पौधा वितरण किया गया।
अंत में...
अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. अनुपमा छाजेड़, उप-प्राचार्या श्रीमती सरिता शर्मा, डॉ. ममता त्रिपाठी, डॉ. अनीता पाटीदार, डॉ. अर्चना शर्मा, डॉ. सुनील पाटीदार ने शाल-श्रीफल भेंट कर किया। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता CEPRD के डॉ. राजेश वर्मा ने की। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक दर्शा शर्मा ने किया। कार्यक्रम के अंत मे CEPRD सदस्यों द्वारा पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने हेतु पौधे वितरित किए।