“हिंदी अब केवल मातृभाषा नहीं, बल्कि वैश्विक विरासत है” — श्री उमिया कन्या महाविद्यालय में परिचर्चा एवं लघु नाटक का आयोजन

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१५ सितंबर २०२५।  "हिंदी अब केवल भारत तक सीमित नहीं रही, बल्कि विश्व पटल पर संवाद, शिक्षा, कारोबार और संस्कृति की प्रमुख भाषा बन चुकी है।" इसी भावना को केंद्र में रखते हुए, श्री उमिया कन्या महाविद्यालय के कला संकाय द्वारा दिनांक 15 सितंबर 2025 को हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में “हिंदी का अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य” विषय पर परिचर्चा एवं लघु नाटक का सफल आयोजन किया गया।

इस आयोजन का उद्देश्य छात्राओं और शिक्षकों को हिंदी के वैश्विक महत्व, संभावनाओं और चुनौतियों से परिचित कराना था। समापन सत्र में डॉ. अनीता पाटीदार एवं डॉ. विभा सोनी ने छात्राओं को मार्गदर्शन देते हुए हिंदी की प्रासंगिकता, अंतरराष्ट्रीय विस्तार और बढ़ती वैश्विक मांग पर प्रकाश डाला।

परिचर्चा में रोचक आँकड़े भी प्रस्तुत किए गए—

  • आज विश्वभर में 60 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं।

  • भारत में 53 करोड़ लोग हिंदी को प्रथम भाषा के रूप में अपनाते हैं और 77% भारतीय हिंदी समझते हैं।

  • वर्तमान में विश्व के 180 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है।

  • केवल अमेरिका में ही 60 से अधिक उच्च शिक्षण संस्थान हिंदी पाठ्यक्रम संचालित कर रहे हैं।

कार्यक्रम का निष्कर्ष इस विचार पर हुआ कि—"हिंदी को केवल मातृभाषा नहीं, बल्कि साझा वैश्विक विरासत की तरह अपनाना आज समय की आवश्यकता है।"  

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